प्रधान कार्यालय सिद्धार्थ नगर कालोनी, सिद्धार्थ एन्क्लेव, तारामंडल, गोरखपुर
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हमारा कार्य क्षेत्र

(1). यहकि हम मुकिरा द्वारा-स्थापित न्यास का नाम “ राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं भष्ट्राचार उन्मूलन ट्रस्ट ” होगा, जिसे इस न्यासपत्र में आगे न्यास या ट्रस्ट के नाम से जाना जाएगा।

(2). यहकि उक्त ट्रस्ट का प्रधान कार्यालय सिद्धार्थ नगर कालोनी, सिद्धार्थ एन्क्लेव, तारामंडल, गोरखपुर में स्थित होगा और जिसका कार्य क्षेत्र सम्पर्ण भारत वर्ष होगा। उक्त ट्रस्ट के कार्य को सुचारू रूप से सम्पादित करने तथा इसके उद्देश्यों की सुगम प्राप्ति के वावत इसके अन्य कार्यालयों की भी स्थापना की जायेगी और उनके कार्यालयों के पते पर ट्रस्ट मजकूर द्वारा गठित की जाने वाली संस्थाओं व समितियों का पंजीकरण सुसंगत अधिनियमों के अन्तर्गत कराया जा सकेया। ट्रस्ट का कार्य क्षेत्र समस्त भारत होगा |

(3). यहकि हम मुकिरा ट्रस्ट मजकूर के संस्थापक व मुख्य ट्रस्टी होगे तथा द्र्स्ट के प्रधान प्रबन्धक भी कहे जायेगें। हम मुकिरा द्वारा ट्रस्ट के संचालन व व्यवस्था के लिये निम्नलिखित व्यक्तियों जो ट्रस्ट के उद्देश्यों के अनुसार ट्रस्ट के हित में ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में कार्य करने को सहमत हैं, को ट्रस्ट का ट्रस्टी नामित करते हैं। इस प्रकार नामित व्यक्तियों को ट्रस्ट का टस्टी कहा जायेगा, जिसकी कुल संख्या 4 से कम तथा 9 से अधिक नहीं होगी। ट्रस्टी का पद किसी भी दशा में लाभ का नहीं होगा और न ही इस पर किसी प्रकार का वाद-विवाद किया जायेगा। भविष्य में हम मुकिरा द्वारा ट्रस्ट के उद्देश्यों की सुगम प्राप्ति हेतु अन्य ट्रस्टियों को भी नामित किया जा सकेगा | हम मुकिरा द्वारा नामित ट्रस्टीगण तथा मुख्य ट्रस्टी को संयुक्त रूप से न्यास मण्डल / ट्रस्ट मण्डल कहा जायेगा। ट्रस्ट की स्थापना के समय हम मुकिरा झ्वारा ट्रस्टी के रूप में नामित व्यंक्तियों का विवरण निम्नलिखित हैः

(4). यहकि हम मुकिरा द्वारा “राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं भष्ट्राचार उन्मूलन ट्रस्ट" के नाम से जिस ट्रस्ट की स्थापना की जा रही है, उसके स्थापना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:-

1 . समाज के आर्थिक, सामाजिक, सास्कृतिक, शैक्षिक विकास हेतु संस्थाओं की स्थापना एवं संचालन हेतु कार्य करना। शिक्षा एवं जीवनोपयोगी ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना तथा आम जनता में चेतना जागृत कर उन्हें शिक्षित एवं रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना |

2 . “ नवयुवक, नवयुवतियों व छात्र-छात्राओं को रचनात्मक दिशा देना एवं उनके सर्वांगीण विकास के लिये प्राथमिक, जूनियर हाईस्कूल, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट व स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना करना एवं उनका संचालन करना।

3 . वर्तमान समय में विज्ञान के जीवन में आवश्यक एवं अनिवार्य अंग होने की स्थिति को देखते हुए त्तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को सूचना विज्ञान एवं कम्प्यूटर तकनीक पर आधारित होने के कारण उससे सम्बन्धित ज्ञान को जिज्ञाशुओं व प्रशिक्षणार्थियों को अत्याधुनिक टेक्नालाजी के माध्यम से उपलब्ध करना |

4 . समाज के सामुदायिक विकास, परस्पर भाईचारा, साम्प्रदायिक तालमेल, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रीय एकता, सरकारी सम्पति के प्रति प्रेम, राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा, प्राकृतिक चीजों एवं जीवों की रक्षा, प्रकृति के प्रति प्रेम, राष्ट्रीय कानून के प्रति वफ़ादारी तथा समाज के प्रति जिम्मेदारियों के लिये युवकों त्तथा महिलाओं को जागरूक करना तथा उन्हें प्रशिक्षित करना। लिंगभेद, जाति-पाति, छुआछूत,धर्म और सम्प्रदाय, ऊंच-नीच की भावना को समाष्त करने के लिये प्रशिक्षण // जागरूकता »सर्वे ,“ लिट्रेचर आदि की व्यवस्था करना |

5 . शिक्षा प्रचार,“प्रसार उन्‍नयन तथा देश के किसी क्षेत्र में सामान्य शिक्षा / तकनीकी, गैर तकनीकी शिक्षा / विधि शिक्षा,/ शिक्षा-प्रशिक्षण हेतु महाविद्यालय स्थापित करना। समाज /स्थानीय आवश्यकताओं को देखते हुये किड केयर, नर्सरी, प्राइमरी, माध्यमिक स्कूलों तथा डिग्री एवं पीएजी० कालेज की स्थापना करच्ा.तथा आमदनी के स्रोत हेतु विद्यालय कम्पाउन्ड में दुकान व आवास का. निर्माण करना

6 . शैक्षणिक क्षेत्र में विभिन्‍न कक्षाओं में कमजोर विद्यार्थियों के लिये अन्य विभिन्‍न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे-मेडिकल, इजीनियरिंग, पालीटेक्निक, बैंक, पी.सी.एस., आई.ए.एस. में प्रवेश की तैयारी के लिये कोचिंग सेन्टरों की व्यवस्था तथा उनसे होने वाली आय से संस्था का पोषण करना |

7 . संस्था के प्रत्येक योजनाओं में महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करना, उनके न मिलने की दशा में सीट पुरूषों द्वारा भरा जा सकता है।

8 . अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े एवं कमजोर वर्गों के लिये स्वरोजगार योजनाओं का प्रबन्ध करना तथा उनके लिये शैक्षणिक क्षेत्र में कमजोर विद्यार्थियों के लिये अलग से कोचिंग की व्यवस्था करना ।

9 . युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्‍न प्रकार के व्यवसायिक ट्रेनिंग जैसे-- सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पेन्टिंग, स्क्रीनिंग,इलेक्ट्रानिक, वायरमैन, डीजल एवं मोटर मैकेनिक, रेडियों एवं टी0वी0 ट्रेनिंग, टाईपिंग, शार्टहैण्ड, कम्प्यूटरफाईन आर्ट, संगीत इसके अतिरिक्त फल संरक्षण कुकिंग /बेकरी एवं मशरूम उद्योग प्रशिक्षण, डाइटिंग प्रशिक्षण आदि जैसे केन्द्रों की स्थापना / व्यवस्था तथा प्रबन्धन करना। आवश्यकतानुसार उनके लिये प्रशिक्षण कक्ष, पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष, छात्रावास, भोजन, वस्त्र, दक, यातायात, खेल का मैदान जैसी सुविधाओं को उपलब्ध कराना |

10 . खाद्य प्रसंस्करण जैसे- जैम, जेली, मुरब्बा, अचार, केचप तथा अन्य फल संरक्षण का प्रशिक्षण देना।| जे युवाओं के लिये विभिन्‍न प्रकार के अन्य उपयोगी प्रशिक्षण हैण्डी क्राफ्ट, सास्कृतिक कार्यक्रम, कुकिंग, कला, निबच्ध, व्याख्यान तथा खेलकूद आदि का आयोजन प्रतियोगिता तथा विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत करना भी संस्था का उद्देश्य है|

11 . समाज कल्याण हेतु विभिन्‍न सरकारी योजनाओं एवं परियोजनाओं को क्रियान्वित करना जैसे- गूंगे, बहरे, अन्चों, अपंग एवं मानसिक रूप से कमजोर बच्चों, युवाओं तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग, गरीब बच्चों निराश्रित अनाथ बच्चों. एवं एवं युवाओं के लिए विद्यालय छात्रावास एवं भोजन, वस्त्र की निःशुल्क व्यवस्था करना एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाना आदि। बिना लाभ-हानि के अन्य छात्रावासों का निर्माण व उनकी समुचित व्यवस्था करना आदि।

12 . वृद्धों के लिये विश्राम केन्द्र अथवा पुनर्वास केन्द्र की स्थापना करना, जिसमें मनोरंजन, पढ़ने, लिखने एवं उन्हें खेलने की पूर्ण सुविधा हो। महिला संरक्षण गृह, विधवा पुनर्वास केन्द्र की स्थापना करना तथा उन्हें सरकारी सहायता दिलाना।

13 . पत्रकार, अधिवक्ता, पुलिस के जवान, सेना के जवान व देशहित में काम करने वाले ब्यक्ति व ब्यक्तियों के मुत्योपरान्त उनके परिवार का मदद करना व उनके अश्रितों के लिसे रोजगार आदि उपलब्ध करवाना।

14 . सामुदायिक विकास कार्यक्रम को बढ़ावा देना तथा आवश्यकतानुसार परामर्श केन्द्र, बारात घर, धर्मशाला, सुलभ शौचालय, चिकित्सालय, पुस्तकालय एवं वाचनालय, खेल मैदान, योगा प्रशिक्षण केन्द्र, छात्रावास, आंगनबाड़ी, बालबाड़ी, ड्रामा स्टेज, प्रशिक्षण हाल एवं अन्य प्रशिक्षण संस्था की स्थापना एवं प्रबन्ध करना |

15 . सरकारी »अर्द्धसरकारी » प्राइवेट व खाली पड़ी जमीन पर आर्थिक महत्व वाले पौधों को बड़े पैमाने पर उमाना, वृक्षारोपण, औषधियों एवं जड़ी-बूटी वाले पौधों का उत्पादन (मेडिसिनल प्लाण्ट) सौन्दर्य उपयोग पौधों फ्लोरीकल्चर सुगन्ध हेतु अन्य पौधों या अन्य आर्थिक महत्व वाले पौधों का रोपण करना। सुरक्षा एवं संस्था की दृष्टिकोण से विलुप्त पौधों की खेती करना।

16 . खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के नियमों का पालन करते हुये उससे सम्बन्धित समस्त जनहित योजनाओं को लागू करना तथा स्वत: रोजगार के लिए बोर्ड से प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के आर्थिक सहायता व अनुदान को स्वतः रोजगार हेतु जनसामान्य तक पहुंचाना ।

17 . राष्ट्रीय एकता शिविर के द्वारा विशेषकर, संवेदनशील एवं अति संवेदनशील राज्यों के लोगों में राष्ट्रीय एकता एवं समर्पण की भावना का विकास करना।

18 . संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भूमि, मकान तथा वाहनों को खरीदना, बेचना, उन्हें किराये या लीज पर लेन-देन करना, मार्गेज करना या मकान बनवाना, बेचना आदि।

19 . विभिन्‍न प्रकार के कार्यक्रमों हेतु आधुनिकतम सुक्धि के साथ प्रशिक्षण हाल॑ की.. स्थापना करना, जिसमें विभिन्‍न प्रकार के सरकारी . एवं गैरं सरकारी प्रशिक्षण सम्पादित हो सके जैसे-यूनीसेफ, अई0एसीएडीएएस0, -नेहरू युवा केन्द्र, समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, युवा कल्याण, परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य विमाग॒ के द्वारा आयोजित विभिन्‍न. प्रकार के ग्रशिक्षणों का आयोजन करना। .

20 . घरेलू ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा देने तथा युवाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए डेयरी उद्योग, रेशम उद्योग, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, बत्तव पालन तथा इनसे सम्बन्धित बीमारियों की जानकारी, रोकथाम, टीकाकरण के लिये युवाओं को प्रेरित / जागरूक / प्रशिक्षित एवं साधन सम्पन्न कराना।

21 . बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकूपान मसाला, गांजा-भांग, स्मैक, शराब, एल0०सी0डी0 या किसी अन्य प्रकार के नशा का सेवन करने वाले लोगों को उनसे होने वाली बीमारियों के प्रति सतर्क क्ररना तथा उनसे छुटकास पाने के लिये नशामुक्ति निःशुल्क चिकित्सालय की व्यवस्था करना |

22 . समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे अन्धविश्वास, बालविवाह दहेज प्रथा, बाल शोषण, बालश्रम, महिला शोषण, लिंगभेद, अस्पृश्यता 'जाति-पाति एवं छुआ-छूत की भावना, स्वैच्छिक भावना के हास को दूर करना तथा इसके लिये जागरूकता, प्रशिक्षण की व्यवस्था करना |

23 . महिलाओं से सम्बन्धित यौन प्रहार या आक्रमण यौन प्रताड़ना, युवतियों की खरीद फरोख्त, पारिवारिक हिंसा, महिला अथवा विधवा उत्पीड़न आदि से मुक्ति दिलाना। इसके लिये युवाओं को प्रशिक्षित एवं जागरूक करना अथवा आवश्यकतानुसार महिला उत्पीड़न मुक्ति केन्द्र की स्थापना करना।

24 . सामूहिक विवाह तथा सामूहिक भोज को बढ़ावा देना, विभिन्‍न त्योहारों, जैसे-होली, दीवाली, दशहरा, मुहर्रम, ईद, बकरीद अथवा समारोह जैसे- शादी, गवना, सालगिरह एवं जन्मदिन पर होने वाले भोजन, धन त्तथा अनाज के अपव्यय की रोकथाम हेतु उन्हें प्रशिक्षित करना।

25 . विभिन्‍न प्रकार के खेल जैसे- योगा, जिमनास्टिक, जूडो, कराटे, कबड्डी तथा अन्य शहरी एवं पारस्परिक ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देना तथा प्रत्येक स्तर पर उनका प्रशिक्षण तथा प्रतियोगिता कराना। इसके लिये संस्था द्वारा सरकारी अनुदान के लिये प्रयास करना |

26 . विभिन्‍न सरकारी एवं गैर सरकारी योजनाओं की सहायता से बाल शिक्षा बाल स्वास्थ्य एवं टीकाकरण पेयजल, स्वच्छता, जनसंख्या वृद्धि एवं परिवार, कल्याण योजनाओं को क्रियान्वित करना जिसमें जागरूकता प्रशिक्षण / कैंम्प सहायता एवं हैण्ड पाईप की व्यवस्था करना।

27 . परिवार कल्याण के क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण, परिवार नियोजन, टीकाकरण के क्षेत्र में जागरूकता, प्रशिक्षण दवा, किट वितरण एवं उनके प्रयोग की सुविधा के साथ-साथ परिवार कल्याण परमर्श केन्द्र की स्थापना करना तथा रक्तदान शिविर. का आयोजन करना |

28 . एड्स, कैन्सर, टी0बी0, कोढ़, मलेरिया, पोलियो, हेपेटाइटिस जैसे रोगों की जानकारी, रोकथाम, नियन्त्रण, जागरूकता, उपचार की व्यवस्था एवं सुविधा उपलब्ध कराना तथा जनसामान्य के लाम हेतु डेण्टल कालेज, मेडिकल कालेज व अन्य चिकित्सकीय, पैरा मेडिकल महाविद्यालयों तथा प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करना |

29 . ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में मिखारियों झुग्गी, झोपड़ी एवं मलीन बस्तियों में रहने वाले व्यक्तियों को आवास, भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण एवं सामाजिक चेतना के प्रति जायरूक करना तथा उन्हें बेहतर सुविधा उपलब्ध करना।

30 . सरकारी कार्यक्रमों जैसे-डूडा एवं सूडा को संचालित करना |

31 . सरकार की सहायता से गावों एवं शहरों के विकास हेतु पेयजल, शौचालय, नालीं, सड़क, निर्माण, खड़न्जा, पिच, पार्क, शिविर एवं भवन, निर्माण की व्यवस्था करना। सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्राप्त अल्प लागत से आवास बनाकर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को उपलब्ध करना |

32 . कृषि उद्योग को बढ़ावा देने के लिये नये-नये वैज्ञानिक तकनीकी का उपयोग कराना तथा नये-नये शोघित बीजों को उमाने तथा उनसे सम्बन्धित बीमारियों की जानकारी देने अथवा दावा तथा सुरक्षा के लिये आम लोगों त्तथा किसानों का शिविर लगाकर उन्हें ब्प्रेरित// जागरूक एवं प्रशिक्षित करना। साथ ही साथ कृषि उत्पाद का उन्हें उचित मूल्य दिलाना, तिलहन, दलहन तथा कृषि बागवानी बोर्ड के विकास हेतु नये वैज्ञानिक तरीकों का प्रचार-प्रसार करना तथा स्थायी कृषि कार्यक्रमों द्वारा कृषकों को प्रशिक्षित एवं लाभान्वित करना |

33 . वर्मी, कम्पोस्ट एवं साग-सब्जी उद्योगों को बढ़ावा देना तथा भूमि को रासायनिक उर्वरक से होने वाले हानि से लोगों को अवगत कराना।

34 . बन्जर एवं ऊसर भूमि, गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत, वातावरणीय संरक्षण, जल एवं अन्य प्राकृतिक सम्पदा के संरक्षण को विकसित करने के लिये विभिन्‍न योजनाओं को लागू करना |

35 . जल, वायु, मृदा एवं ध्वनि प्रदूषण की जालकारी / नियन्त्रण उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में युवाओं को जागरूक एवं प्रशिक्षित करने के लिये रचनात्मक दिशा में कारगर कदम उठाना।

36 . प्राकृतिक आपदा जैसे- हैजा, प्लेग, भूखमरी, बाढ़, आग, सूखा, अकाल, चक्रवात, भूकम्प, सुनांगी, दुर्घटना की दशा में प्रभावित लोगों की सहायता करना तथा प्रभावित गांवों, व्यक्तियों एवं पशुओं का सर्वेक्षण एवं पहचान करना तथा उन्हें सहायता प्रदान करना सम्मिलित है। ऐसी दशा में लोगों को बचाव एवं भावी रणनीति के लिये सहयोग, जागरूकता तथा प्रशिक्षित करना है। इसके लिए लोगों संस्था तथा कम्पनियों आदि से आर्थिक सहयोग भी लिया जा सकता है। इसमें शासन एवं प्रशासन का सहयोग भी शामिल है।

37 . लावारिस, असहाय पशुओं एवं बीमार जानवरों विशेषकर कुत्तों एवं गायों की देखभाल के साथ-साथ संमुंचित संरक्षण तथा उनके पोषण, निःशुल्क दवा व॑ अस्पताल की व्यवस्था करना, पशुशाला तथा गौशाला की व्यवस्था करना प्रतिबन्धित पशुओं के अवैध हत्या को रोकना, पशुओं के प्रति प्रेम जायूत करने के लिये पशु मेले का आयोजन करना।

38 . तत्काल सुविधा पहुंचाने हेतु सड़क, ट्रेन, बस, दुर्घटना, जख्मी व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं, बीमार, असहाय॑, बृंद्ध व्यक्तियों को निकट्वर्ती अस्पताल तक पहुंचाने के लिये अथवा एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक ले जाने के लिए मोबाइल इमरजेन्सी एम्बुलेन्स /वैन की व्यवस्था करना।

39 . उन समस्त योजनाओं को क्रियान्वित करना, जो समाज कल्याण हेतु सज्य सरकार अथवा भारत सरकार द्वारा अनुदानित है तथा जिनको विभिन्‍न विभागों व एन.जी.ओ. के माध्यम से चलाया जा रहा है।

40 . पंचायती राज एवं उपभोक्ता संरक्षण के बारे में जानकारी तथा अन्य सामान्य ज्ञान एवं कानूनी जागरूकता के लिये काउन्सिलिंग केन्द्रों की स्थापना व प्रबन्धन करना ताकि महिलाओं तथा समाज के गरीब एवं पिछड़ें लोगों को कानूनी सहायता की जा सके। गरीब लोगों विशेषकर महिलाओं के कानूनी, सामाजिक, आर्थिक या चिकित्कीय सुविधा अथवा सहायता के लिये उपाय करना।

41 . किसी एन.जी.ओ. द्वारा दिये गये कार्यो को भी न्यास के माध्यम से सम्पादित-किंया जा सकेगा |

42 . सरकारी अथंवा संस्था के किसी भी उद्देश्य की पूर्ति के लिये सर्वे कार्य, डाटा, कलेक्शन, -जागरूकता तथा प्रशिक्षण हेतु किसी प्रकार का किट, पोस्टर, बैनर, श्रब्य दृश्य कैसेट, कठपुतली, सामग्री, डाक्यूमेन्ट्री एवं नुक्कड़ नाटक किट तैयार करना जो विभिन्‍न कार्यक्रमों अथवा क्षेत्रों में प्रयुक्त होता .हो, जिससे न्यास के उद्देश्य की पूर्ति होती है।

43 . किसी अन्य सरकारी तथा गैर सरकारी तनन्‍्त्र अथवा एन.जी.ओ. एसोसिएशन, ट्रस्ट को आर्थिक सहायता देना उनके क्रियाकलापों में सहयोग देना जिनके उद्देश्य इस संस्था से मिलते हों।

44 . सरकारी तथा गैर सरकारी, लोगों, संस्थाओं, तंत्रों, कम्पनी, दुकानों से आर्थिक सहायता लेकर संस्था के उद्देश्य की पूर्ति करना। इसमें विभिन्‍न प्रकार के डोनेशन, ग्रान्ट, गिफ्ट चल एवं अचल सम्पत्ति सम्मिलित है।

45 . विभिन्‍न पंजीकृत संस्थाओं को संगठित करना तथा उन्हें विभिन्‍न योजनाओं के बारे में जानकारी देना या आर्थिक सहायता पहुचाना |

46 . संस्था के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये इसके शाखा था इसके क्रियाकलापों को आवश्यकतानुसार अन्य जिला / प्रदेशों में स्थापित करना या फैलाना।

47 . सरकारी, अर्द्धधभरकारी अथवा गैर सरकारी बैंकों से संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऋण या सहायता प्राप्त करना।

(5). ट्रस्ट मण्डल के अधिकार एवं कर्तव्य:-

(क). समान उद्देश्य की अन्य संस्थाओं व ट्रस्टों से सहयोग एवं सम्पर्क स्थापित करना तथा राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार से सहायता प्राप्त करना।

(ख). ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु तथा इसके विभिन्‍न इकाइयों को सुचारू व्यवस्था के लिये अन्य संस्थाओं की स्थापना करना तथा इसके लिये समितियों एवं उप समितियों का गठन करना।

(ग). ट्रस्ट के अधीन संस्थाओं व समितियों के सुचारू रूप से संचालन के लिये समिति पंजीकरण अधिनियम के अनुसार उनकी अलग नियमावली तथा उपनियमों को बनाना |

(घ). ट्रस्ट के अधीन स्थापित संस्थाओं व समितियों के सदस्यत्ता के लिए विभिन्‍न प्राविधानों को लिखित रूप में तैयार करना तथा इसके लिए घन की व्यवस्था हेतु सदस्यता शुल्क, दान, चंदा इत्यादि प्राप्त करना तेंथा उनकी प्रबन्ध इकाइयां गठित करना। |

(ड). ट्रस्ट के अधीन चलने वाली संस्थाओं क़ी संचालित करने एवं उनकी व्यवस्था के लिये लाभार्थियों से शुल्क प्राप्त करना।

(च) . ट्रस्ट के सम्पत्ति की देखभाल करना तथा ट्रस्ट की सम्पत्ति को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करना और आवश्यकता पड़ने पर ट्रस्ट की सम्पत्ति को नियमानुसार हस्तान्तरित करना व अच्य प्रका से उसकी व्यवस्था करना |

(छ). ट्रस्ट के अधीन स्थापित संस्थाओं व गठित समितियों में अनियमितता की स्थिति उत्पन्न होने पर अथवा किन्‍्हीं आकस्मिक परिस्थितियों में उसके संचालन के वावत गठित समिति को भंग कर उसकी सम्पूर्ण व्यवस्था ट्रस्ट में निहित करना।

(ज). ट्रस्ट के अघीन स्थापित एवं संचालित संस्थाओं, विद्यालयों, शिक्षण केन्द्रों, चिकित्सालयों, शोध केन्द्रों गौशालाओं व अन्य समस्त समितियों के लिए आवश्यक ।